भारत के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए, राजस्थान के दो आर्द्रभूमियों—खीचन (फालोदी) और मेणार (उदयपुर)—को अंतरराष्ट्रीय महत्व की रामसर साइटों की सूची में शामिल किया गया है। इस घोषणा के साथ भारत की कुल रामसर साइटों की संख्या बढ़कर 91 हो गई है। यह घोषणा विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की पूर्व संध्या (4 जून 2025) को की गई, जो भारत की महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है। रामसर साइट ऐसी आर्द्रभूमि होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व की मान्यता मिली होती है यह मान्यता 1971 में ईरान के रामसर शहर में हस्ताक्षरित रामसर सम्मेलन (Ramsar Convention) के तहत दी जाती है। इसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों के संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है ।