- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग, विशेष रूप से सोशल मीडिया पर बढ़ती गैर-जिम्मेदार टिप्पणियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि इस संवैधानिक अधिकार के साथ स्वनियंत्रण और जिम्मेदारी भी आवश्यक है, ताकि समाज में अराजकता और वैमनस्य को रोका जा सके। न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया कि इस दिशा में ठोस दिशा-निर्देशों और नियमन की आवश्यकता है ताकि स्वतंत्रता और अनुशासन के बीच संतुलन बना रहे।
- अभिव्यक्ति और दुरुपयोग में अंतर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “किसी मुद्दे पर राय रखना अलग बात है, लेकिन उसे जिस भाषा या शैली में कहा जाता है, वह अगर आपत्तिजनक हो, तो वह बोलने की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।” इससे अनावश्यक मुकदमेबाज़ी बढ़ती है और कानून व्यवस्था तंत्र पर बोझ भी।