Evolution & Development of Computer GK

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Computer gk

अबेकस ( The Abecus ) Computer GK 

यह एक प्राचीन गणना यंत्र है , जिसका आविष्कार प्राचीन बेबीलोन में अंकों की गणना के लिए किया गया था। इसे संसार का प्रथम गणक यंत्र कहा जाता है। इसमें तारों ( Wires ) में गोलाकार मनके ( Beads ) पिरोई जाती है जिसकी सहायता से गणना को आसान बनाया गया।


पास्कलाइन ( Pascaline )

फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने 1642 में प्रथम यांत्रिक गणना मशीन का आविष्कार किया। यह केवल जोड़ व घटा सकती थी। अतः इसे एंडिंग मशीन भी कहा गया।

डिफरेंस इंजन और एनालिटिकल इंजन

ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने 1822 में डिफरेंस इंजन का आविष्कार किया जो भाप से चलता था तथा गणना कर सकता था। 1842 में चार्ल्स बैबेज ने एक स्वचालित मशीन एनालिटिकल इंजन बनाया जो पंचकार्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करती थी तथा मूलभूत गणितीय गणना जोड़ , घटाव , गुणा और भाग कर सकती थी। एनालिटिकल इंजन को विश्व का पहला कंप्यूटर माना जा सकता है।

लेडी एडा आगस्टा

इन्होंने एनालिटिकल इंजन में पहला प्रोग्राम डाला इन्हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर भी कहा जाता है। इन्होंने दो अंको की संख्या प्रणाली वायनरी प्रणाली का भी आविष्कार किया।
क्या आप जानते हैं
चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए "आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान का जनक" कहा जाता है।

सेंसस टेबुलेटर

1890 में अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन हॉलेरिथ ने इस विद्युत चालित यंत्र का आविष्कार किया जिसका प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया। इन्हें कंप्यूटर के अनुप्रयोग के लिए मेमोरी के रूप में पंचकार्ड के अविष्कार का भी श्रेय दिया जाता है।
पंचकार्ड कागज का बना एक कार्ड है। जिसमें पंच द्वारा छेद बनाकर कंप्यूटर डाटा तथा प्रोग्राम स्टोर किया जाता था। पंच कार्ड रीडर द्वारा पंचकार्ड पर स्टोर किए गए डाटा को पढ़ा जाता था।
कंप्यूटर के लिए डाटा स्टोर करने से पहले पंचकार्ड का उपयोग टेक्सटाइल उद्योग में कपड़ा बुनने की मशीनों को नियंत्रित करने के लिए किया गया।

मार्क-I ( Marc-I )

1937 से 1944 के बीच आईबीएम ( International business machine )  नामक कंपनी के सहयोग तथा वैज्ञानिक हावर्ड आइकेन के निर्देशन में विश्व के प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यंत्र गणना यंत्र का आविष्कार किया गया। जिसे मार्क-I नाम दिया गया।

ए.बी.सी. ( Atanasoff-Berry Computer )

1939 में जॉन एटनासौफ  और क्लिफोर्ड वेरी नामक वैज्ञानिकों ने मिलकर संसार का पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार किया। इन्हीं के नाम पर इसे ए.बी.सी. का नाम दिया गया।

एनिएक ( ENIAC - Electronic Numerical Integrator and Calculater )

1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक J.P. एकर्ट तथा जॉन मुचली ने सामान्य कार्यों के लिए प्रथम पूर्ण "इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर" का अबिष्कार किया जिसे ENIAC नाम दिया गया।

एडबैक ( EDVAC )

एनिएक कंप्यूटर में प्रोग्राम में परिवर्तन कठिन था। इससे निपटने के लिए वान न्यूमेन ने संग्रहित प्रोग्राम की अवधारणा दी तथा इससे एडवेक का विकास हुआ।
क्या आप जानते हैं
आधुनिक कंप्यूटर के विकास में सर्वाधिक योगदान अमेरिका के डॉ. वान न्यूमेन का है। इन्हें डाटा और अनुदेश दोनों को वायनरी प्रणाली में संग्रहित करने का श्रेय दिया जाता है।

यूनीवैक ( UNIVAC )

Universal Automatic computer ) - यह प्रथम कंप्यूटर था जिसका उपयोग व्यापारिक और अन्य सामान्य कार्यों के लिए किया गया। प्रथम व्यापारिक कंप्यूटर Univac-I का निर्माण 1954 में GEC ( General Electric Corporation ) कंपनी ने किया।

माइक्रो प्रोसेसर ( Micro Processor )

1970 में Intel कंपनी द्वारा प्रथम माइक्रो प्रोसेसर "Intel 4004" के निर्माण ने कंप्यूटर क्षेत्र में क्रांति ला दी। इससे छोटे आकार के कंप्यूटर का निर्माण संभव हुआ। इन्हें माइक्रो कंप्यूटर कहा गया।


एप्पल-II - 1977 में प्रथम व्यवसायिक माइक्रो कंप्यूटर का निर्माण किया गया इसे एप्पल-II नाम दिया गया।

कंप्यूटर के विकास का वर्गीकरण

हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर कंप्यूटर को विभिन्न पीढ़ियों में बांटा जाता है।

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ( First Generation Computer 1942-1955 ) 

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के निर्माण में निर्वात ट्यूब का प्रयोग किया गया जिसे वाल्व भी कहा जाता है।

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के मुख्य बिंदु :
(I) सॉफ्टवेयर मशीनी भाषा तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में तैयार किया जाता था।
(II) डाटा तथा सॉफ्टवेयर के भंडारण के लिए पंचकार्ड तथा पेपर टेप का प्रयोग किया गया।
(III) कंप्यूटर का गणना समय या गति मिली सेकंड में थी।
(IV) पहली पीढ़ी के कंप्यूटर का उपयोग मुख्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्य में किया गया।
(V) यह आकार में बड़े और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति मंद थी इनमें त्रुटि होने की संभावना भी अधिक रहती थी अतः इनका संचालन एक खर्चीला काम था।
(VI) निर्वात ट्यूब द्वारा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रखना पड़ता था
(VII) एनिएक , यूनीवैक तथा IBM के मार्ग-I इसके उदाहरण हैं।
(VIII) 1952 में डॉ. ग्रेस हार्पर द्वारा असेंबली भाषा के आविष्कार से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Second Generation Computer 1955-64 ) 

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के , छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे।


द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के मुख्य बिंदु :
1. कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा में तैयार किया गया। असेंबली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड का प्रयोग किया जाता है , जो याद रखने में सरल होते हैं। अतः असेम्बली भाषा में सॉफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है।
2. डाटा तथा सॉफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरण जैसे - मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरंभ हुआ इससे भंडारण क्षमता तथा कंप्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
3. कंप्यूटर के प्रोसेस करने की गति तीव्र हुई जिसे अब माइक्रो सेकंड में मापा जाता था या 1 सेकंड का दस लाख वा भाग होता है।
4. व्यवसाय तथा उद्योग में कंप्यूटर का प्रयोग आरंभ हुआ।
5. बैच ऑपरेटिंग सिस्टम का आरंभ किया गया।
6. सॉफ्टवेयर में कोबोल और फोरटोन जैसी उच्च स्तरीय भाषा का विकास आईबीएम द्वारा किया गया इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ।
क्या आप जानते हैं
ट्रांजिस्टर का अविष्कार 1947 में बेल लेबोरेटरीज के जॉन वारडीन , विलियम शाकले तथा बाल्टर ब्रेटन ने किया अर्धचालक पदार्थ सिलीकन या जर्मेनियम का बना ट्रांजिस्टर एक तीव्र स्विचिंग डिवाइस है।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Third Generation Computer 1964-75 ) 

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप का प्रयोग आरंभ हुआ जिससे कंप्यूटर का लघु रूप संभव हो सका। SSI तथा बाद में MSI का विकास हुआ। जिसमें एक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप में सैंकड़ों इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे -  ट्रांजिस्टर , प्रतिरोधक तथा संधारित्र का निर्माण संभव हुआ।


तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर के मुख्य बिंदु :
1. इनपुट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में क्रमशः कीबोर्ड तथा मॉनिटर का प्रयोग प्रचलित हुआ कीबोर्ड के प्रयोग से कंप्यूटर में डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ।
2. मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों का विकास हुआ रैम के कारण कंप्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
3. कंप्यूटर का गणना समय नैनो सेकंड में मापा जाने लगा।
4. कंप्यूटर का व्यवसायिक व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ।
5. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
6. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री आरंभ हुई इससे प्रयोगकर्ता आवश्यकता अनुसार सॉफ्टवेयर ले सकता था।
7. 1965 में DEC ( Digital Equipment Corporation ) द्वारा प्रथम व्यवसायिक मिनी कंप्यूटर पीडीपी-8 का विकास किया गया।
क्या आप जानते हैं
इंटीग्रेटेड सर्किट चिप ( IC ) का विकास 1958 में जैक किल्बी तथा रॉबर्ट नोई द्वारा किया गया। सिलिकॉन की सतह पर बने इस प्रौद्योगिकी को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स का नाम दिया गया। ये चिप अर्धचालक पदार्थ सिलिकॉन या जर्मेनियम के बने होते हैं।

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Fourth Generation Computer 1975-89 ) 

इस पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया।
1. कंप्यूटर का गणना समय को पीको सेकंड में मापा जाने लगा।
2. माइक्रो प्रोसेसर के इस्तेमाल से अत्यंत छोटा और हाथ में लेकर चलने योग्य कंप्यूटर का विकास संभव हुआ।
3. मल्टी टास्किंग के कारण कंप्यूटर का प्रयोग एक साथ कई कार्यों को संपन्न करने में किया जाने लगा।
4. माइक्रो प्रोसेसर का विकास एम्ई हॉफ ने 1971 में किया इससे व्यक्तिगत कंप्यूटर ( PC ) का विकास हुआ।
5. चुंबकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक मेमोरी ने ले लिया रैम की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया।
6. उच्च गति वाले कंप्यूटर नेटवर्क जैसे - LAN व WAN का विकास हुआ।
7. 1981 में IBM कंपनी ने माइक्रो कंप्यूटर का विकास किया जिसे PC या पर्सनल कंप्यूटर कहा गया।
8. सॉफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के विकास ने कंप्यूटर के उपयोग को सरल बना दिया।
9. ऑपरेटिंग सिस्टम में MS-DOS , Microsoft windows तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
10. उच्च स्तरीय भाषा में C++ भाषा का विकास विकास हुआ जिसमें प्रोग्रामिंग करना सरल था।
11. उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को सभी कंप्यूटर में चलाया जा सके।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर ( Fifth Generation Computer 1989-अब तक ) 

ULSI तथा SLSI से करोड़ों इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से युक्त माइक्रोप्रोसेसर चिप का विकास हुआ।
1. इससे अत्यंत छोटे व हाथ में लेकर चलने योग्य कंप्यूटर का विकास हुआ इनकी गणना क्षमता अत्यंत तीव्र तथा अधिक है।
2. मल्टीमीडिया तथा एनिमेशन के कारण कंप्यूटर का शिक्षा तथा मनोरंजन आदि के लिए भरपूर उपयोग किया जाने लगा।
3. इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के विकास ने सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एक-दूसरे से संपर्क करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव बनाया।
4. भंडारण के लिए ऑप्टिकल डिस्क जैसे - सीडी , डीवीडी या ब्लू रे - डिस्क का विकास हुआ जिनकी भंडारण क्षमता अत्यंत उच्च थी।
5. दो प्रोसेसर को एक साथ जोड़कर तथा पैरेलल प्रोसेसिंग द्वारा कंप्यूटर प्रोसेसर की गति को तीव्र बनाया गया।
6. नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट , ई-मेल तथा वर्ल्ड वाइड वेब ( WWW ) का विकास हुआ।
7. नये कंप्यूटर में कृतिम ज्ञान क्षमता डालने के प्रयास चल रहे हैं , ताकि कंप्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं निर्णय ले सके। आवाज को पहचानने तथा रोबोट निर्माण में इनका प्रयोग किया जा रहा है।
8. मैग्नेटिक बबल मेमोरी के प्रयोग से भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई।
9. पोर्टेबल पीसी और डेस्कटॉप पीसी ने कंप्यूटर को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जोड़ दिया है।
रोचक तथ्य
आलू के चिप्स के आकार के होने के कारण इंटीग्रेटेड सर्किट को चिप नाम दिया गया।

कार्य पद्धति के आधार पर कम्प्यूटरों का वर्गीकरण

तकनीकी के आधार पर कंप्यूटर को तीन प्रकार में बांटा जाता है :

एनालॉग कंप्यूटर ( Analog Computer )

समय के साथ लगातार परिवर्तन होने वाली भौतिक राशियों को एनालॉग राशि कहते हैं।
जैसे - तापक्रम , दबाव , विद्युत वोल्टेज आदि।
एनालॉग कंप्यूटर में डाटा का निरूपण लगातार परिवर्तित होने वाली राशि के रूप में होता है। एनालॉग कंप्यूटर की गति अत्यंत धीमी होती है इसलिए इस प्रकार के कंप्यूटर अब प्रचलन से बाहर हो गए हैं।
एक साधारण घड़ी , वाहन का गति मीटर , वोल्टमीटर आदि एनालॉग कंप्यूटर के उदाहरण हैं।

डिजिटल कंप्यूटर ( Digital Computer )

यह इलेक्ट्रॉनिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति का प्रयोग किया जाता है। डिजिटल कंप्यूटर में डाटा का निरूपण बायनरी रूप में किया जाता है इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कंप्यूटर इसी प्रकार के हैं इससे आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में निरूपित किया जाता है।

हाइब्रिड कंप्यूटर ( Hybrid Computer )

यह डिजिटल व एनालॉग कंप्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है , जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कंप्यूटर का प्रयोग अस्पताल , रक्षाक्षेत्र  व विज्ञान आदि में किया जाता है।

आकार और कार्य के आधार पर कम्प्यूटरों का वर्गीकरण
( Classification Based on Size and Work )

आकार और कार्य के आधार पर कंप्यूटर को मेनफ्रेम , मिनी , माइक्रो कंप्यूटर तथा सुपर कंप्यूटर में बांटा जाता है। पर्सनल कंप्यूटर , नोटबुक , नेटबुक , टेबलेट , लैपटॉप , वर्क स्टेशन तथा पॉमटॉप आदि माइक्रो कंप्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं।

मेन फ्रेम कंप्यूटर ( Main Frame Computer )

मेन फ्रेम कंप्यूटर में मुख्य कंप्यूटर एक केंद्रीय स्थान पर रखा जाता है। जो सभी डाटा और अनुदेशों को स्टोर करता है। उपयोगकर्ता Dumb Terminal के माध्यम से मेन फ्रेम कंप्यूटर से जोड़ता है। तथा केंद्रीय डाटाबेस और प्रोसेसिंग क्षमता का उपयोग करता है। मेनफ्रेम कंप्यूटर आकार में काफी बड़े होते हैं। इनकी डाटा स्टोरेज क्षमता अधिक होती है तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है। मेनफ्रेम कंप्यूटर से जुड़कर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं।ऑनलाइन रहकर बड़ी मात्रा में डाटा प्रोसेसिंग किया जा सकता है। मेन फ्रेम कंप्यूटर में दो या अधिक माइक्रोप्रोसेसर्स को एक साथ जोड़कर प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाई जाती है। इसमें सामान्यतः 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है।


मिनी कंप्यूटर ( Mini Computer )

आकार में मेन फ्रेम कंप्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कंप्यूटर से बड़े होते हैं। इनका आविष्कार 1965 में DEC नामक कंपनी ने किया।
इसमें एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। इनकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है अतः इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं अतः संसाधनों का साझा उपयोग होता है।

माइक्रो कंप्यूटर ( Micro Computer )

इसका विकास 1970 में प्रारंभ हुआ जब सीपीयू में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा। इसका विकास सर्वप्रथम IBM कंपनी ने किया इसमें 8 , 16 , 32 , 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है।
रोचक तथ्य
कंप्यूटर के निर्माण उद्योग में अग्रणी होने के कारण भारत का बेंगलुरु शहर सिलिकॉन वैली के नाम से प्रसिद्ध है।

पर्सनल कंप्यूटर ( PC )

इसे डेस्कटॉप कंप्यूटर भी कहा जाता है। आजकल प्रयुक्त होने वाले PC वास्तव में माइक्रो कंप्यूटर ही है। इसमें की-बोर्ड , मॉनिटर तथा सिस्टम यूनिट होते हैं। सिस्टम यूनिट में सीपीयू , मेमोरी तथा अन्य हार्डवेयर होते हैं। यह छोटे आकर का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कंप्यूटर है इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है इसी कारण इसे पर्सनल कंप्यूटर कहा जाता है।
इसका ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता वाला होता है PC को टेलीफोन और MODEM की सहायता से आपस में इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है। कुछ प्रमुख PC निर्माता कंपनी है - IBM , Lenovo , Apple कंपनी , HCL और HP.
"पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें माइक्रोप्रोसेसर 8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हार्डडिक्स ड्राइव लगाकर उसकी क्षमता बढ़ाई गई तथा इसे pc-xt नाम दिया गया। 1984 में नए माइक्रोप्रोसेसर 80286 से बने PC को PC-AT नाम दिया गया वर्तमान पीढ़ी के सभी पर्सनल कंप्यूटर को PC-AT कहा जाता है"

नोटबुक कंप्यूटर या लैपटॉप

यह नोटबुक के आकार का ऐसा कंप्यूटर जिसे ब्रीफकेस में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसमें पर्सनल कंप्यूटर की सभी विशेषता मौजूद रहती हैं। चूँकि इसका उपयोग गोद पर रखकर किया जाता है अतः इसे लैपटॉप कंप्यूटर भी कहते हैं।


लैपटॉप का विकास एडम आसबर्न द्वारा 1981 में किया गया था। इसमें एक मुड़ने योग्य एलसीडी मॉनिटर , की-बोर्ड , टचपैड , हार्ड डिक्स , फ्लॉपी डिस्क ड्राइव , सीडी , डीवीडी ड्राइव और अन्य पोर्ट रहते हैं। विद्युत के बगैर कार्य कर सकने के लिए इसमें चार्ज की जाने वाली बैटरी का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः लैपटॉप में लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाता है। WiFi और ब्लूटूथ की सहायता से इसे इंटरनेट द्वारा भी जोड़ा जा सकता है।

टेबलेट कंप्यूटर ( Tablet Computer )

टेबलेट एक छोटा कंप्यूटर है। जिसमें की-बोर्ड या माउस का प्रयोग नहीं होता। इसमें इनपुट के लिए स्टाइलस , पेन या टच स्क्रीन तकनीक का प्रयोग होता है। टेबलेट में डाटा डालने के लिए Virtual या One Screen key board का प्रयोग किया जाता है। इसे वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है। इसका फिर स्मार्टफोन की तरह भी प्रयोग किया जा सकता है।
चूँकि टेबलेट कंप्यूटर का प्रयोग हाथ में रखकर किया जाता है अतः इसे हैंडहेल्ड कंप्यूटर में कहा जाता है। एप्पल कंपनी द्वारा आईपैड , टेबलेट कंप्यूटर का एक उदाहरण है।

पॉमटॉप ( Palmtop )

यह बहुत ही छोटा कंप्यूटर है जिसे हाथ में रखकर कार्य किया जा सकता है। इसे मिनी लैपटॉप भी कहा जा सकता है। की-बोर्ड की जगह इसमें आवाज द्वारा इनपुट का कार्य लिया जाता है।

स्मार्टफोन ( Smartphone )

स्मार्टफोन एक मोबाइल फोन है, जिसमें कंप्यूटर की लगभग सभी विशेषता मौजूद रहती हैं। इसमें डाटा इनपुट के लिए टचस्क्रीन तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
टेबलेट या पीडीए एक कंप्यूटर है , जिसका प्रयोग वैकल्पिक फोन की तरफ भी किया जाता है। दूसरी तरफ , स्मार्टफ़ोन मुख्यतः एक फोन है, जिसका प्रयोग कंप्यूटर प्रोसेसिंग के कुछ कार्य तथा इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए किया जा सकता है। स्मार्ट फोन का उपयोग एक हाथ से किया जा सकता है, जबकि टेबलेट को दोनों हाथों से चलाना पड़ता है। स्मार्टफोन तथा टेबलेट हैंडहेल्ड डिवाइस कहलाते हैं।

सुपर कंप्यूटर ( Super Computer )

अत्यधिक तीव्र प्रोसेसिंग शक्ति और विशाल भंडारण क्षमता वाले कंप्यूटर को सुपर कंप्यूटर कहते हैं।
सुपर कंप्यूटर का निर्माण उच्च क्षमता वाले हजारों प्रोसेसर को एक साथ समांतर क्रम में जोड़कर किया जाता है। इसमें मल्टिप्रोसेसिंग और समांतर प्रोसेसिंग का उपयोग किया जाता है। समांतर प्रोसेसिंग में किसी कार्य को अलग-अलग टुकड़ों में तोड़ कर उसे अलग-अलग प्रोसेसर द्वारा संपन्न कराया जाता है। सुपर कंप्यूटर पर अनेक उपयोगकर्ता एक साथ काम कर सकते हैं। अतः इसे multi-user कंप्यूटर कहा जाता है।
सुपर कंप्यूटर विश्व के सर्वाधिक तेज कंप्यूटर है , जो कम समय में जटिल गणनाएं कर सकते हैं। सुपर कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड की गणना Flops में की जाती है। यहां फ्लोटिंग पॉइंट का तात्पर्य कंप्यूटर द्वारा संपन्न किए गए किसी भी कार्य से है , जिसमें भिन्न संख्यायें  भी शामिल हैं। वर्तमान सुपर कंप्यूटर की गति पेटा फ़्लॉप्स में मापी जा रही है।
विश्व के प्रथम सुपर कंप्यूटर का निर्माण का श्रेय अमेरिका की Cray Research Company को जाता है जिसकी स्थापना Seymour Cray ने की थी। सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान के लिए Seymour Cray को सुपर कंप्यूटर का जन्मदाता कहा जाता है।

भारत में सुपर कंप्यूटर ( Super Computer In India )

भारत में "परम सीरीज" के सुपर कंप्यूटर का निर्माण C-DAC, पुणे द्वारा किया गया। "परम 8000" c-dac द्वारा विकसित पहला सुपर कंप्यूटर था जिसका निर्माण 1991 में किया गया था। इसके निर्माण का श्रेय C-DAC के निदेशक डॉ. विजय भास्कर को जाता है। "परम पदम" सुपर कंप्यूटर का निर्माण 2003 में किया गया जिसकी गणना क्षमता 1 टेरा फ्लास्प यानि 1 खरब गणना प्रति सेकेंड थी। "परम युवा-II" सुपर कंप्यूटर का निर्माण 2013 में किया गया जो C-DAC द्वारा बिकसित सबसे तेज सुपर कंप्यूटर है। इसकी गणना क्षमता 500 टेरा फ्लास्प है। इस तरह के सुपर कंप्यूटर विश्व के कुल 5 देशों अमेरिका , जापान , चीन , इजराइल और भारत के पास ही उपलब्ध हैं।
"अनुपम सीरीज" के सुपर कंप्यूटर का विकास बार्क, मुंबई द्वारा किया गया।
रोचक तथ्य
IBM के डीप ब्लू कंप्यूटर ने शतरंज के विश्व चैंपियन गैरी कास्पोराव को पराजित किया था। यह 1 सेकंड में शतरंज की 20 करोड़ चालें सोच सकता है।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गए Computer Gk प्रश्नोत्तर :

Que. कंप्यूटर विज्ञान का जनक कहा जाता है - चार्ल्स बैबेज ( SSC 2010 , SSC cgl 2015 )
Que. IBM का पूरा नाम है - इंटरनेशनल बिजनेस मशीन ( PCS 2002 )
Que. संसार का पहला गणक यन्त्र है - अबेकस ( UPPSC 2014 )
Que. विश्व का पहला कंप्यूटर बनाया था - चार्ल्स बैबेज ने ( UPPSC 2007 )
Que. विश्व का प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर है - ऐनायिक ( SSC 2011 )
Que. प्रथम इलेक्ट्रॉनिक अंकीय कंप्यूटर में प्रयोग हुआ था - निर्वात ट्यूब ( RBI 2015 , SSC gl 2011 )
Que. पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में प्रयुक्त सॉफ्टवेयर भाषा थी - मशीनी लैंग्वे ( IBPS 2011 )
Que. कंप्यूटर में प्रयुक्त IC चिप बने होते हैं - सिलिकॉन या जर्मेनियम ( IBPS , SSC, JPSC 2014 )
Que. IC चिप का निर्माण किया जाता है - सेमीकंडक्टर से ( Utt. PCS 2008 )
Que. किस कंपनी ने सर्वप्रथम माइक्रोप्रोसेसर का विकास किया था - इंटेल ( IBPS 2014 )
Que. माइक्रोप्रोसेसर चिप युक्त कंप्यूटर किस पीढ़ी के हैं - चौथी पीढ़ी ( RBI 2015 )
Que. कार में लगा गति मापक यंत्र उदाहरण है - एनालॉग कंप्यूटर का ( Utt. PSC 2012 )
Que. PC का पूर्ण रूप है - पर्सनल कंप्यूटर ( SSC 2009 )
Que. यदि किसी कंप्यूटर में एक से अधिक प्रोसेसर एक साथ जोड़कर उपयोग किए जाते हैं तो इसे कहते हैं - मल्टी प्रोसेसिंग ( IBPS 2011 )
Que. विश्व के प्रथम सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया था - Cray Research Company ने ( UPPSC 2002 )
Que. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर है - अनुपम ( UPPSC 2004 )
Que. सुपर कंप्यूटर में होते हैं - हजारों माइक्रोप्रोसेस( SBI clk 2012 )
Que. भारत में बना सुपर कंप्यूटर फ्लोसाल्वर विकसित व डिजाइन किया गया था - नेशनल एयरोनॉटिकल लैब , बेंगलुरु द्वारा ( UPSC 2013 )
Que. भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर है - परम ( IBPS 2013 )
Que. भारत में सिलिकॉन वैली कहा जाता है - बेंगलुरु को ( SSC , DRDO , Utt. UDA 2014 )
Que. मोबाइल फोन का आविष्कार किया था - मार्टिन कूपर ने ( SSC 2015 )

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