मानव जनन तंत्र ( Human Reproductive System )
मानव जनन तंत्र अत्यंत विकसित होता है। पुरुष तथा स्त्री में जनन से संबंधित संरचनाएं अलग-अलग होती हैं, जो एक विशिष्टीकृत नर तथा मादा जनन तंत्र बनातीं हैं। मनुष्यों के जीवन में जनन तंत्र निश्चित आयु पर क्रियाशील होता है, जिसे यौवनारम्भ कहते हैं। सामान्यतः लड़कों में यौवनारम्भ 15 से 18 वर्ष की उम्र में; जबकि लड़कियों में यह 12 से 13 वर्ष की उम्र में होता है।
🧬 यौवनारम्भ के आरम्भ होने पर नर शुक्राणु तथा स्त्री अण्डाणु उत्पन्न करते हैं।
🧬 नर का बृषण तथा स्त्री का अंडाशय हार्मोनों का स्राव करते हैं।
🧬 नर हार्मोन को टेस्टोस्टोरेन तथा नारी हार्मोन को एस्ट्रोजन कहा जाता है।
✍️ नर जनन तंत्र ⚡
🌞 बृषण ( Testes ) - पुरुषों में शुक्राणु कोशिकाओं का निर्माण अंडकोष में स्थित दो बृषणों में होता है।
🩸 यह अंतःस्रावी ग्रंथि है, जो अंडाकार होती है एवं पेरिटोनियम नामक झिल्ली से घिरी रहती है।
🩸 इसका कार्य शुक्राणु तथा नर हार्मोन उत्पन्न करना होता है।
🩸 शुक्राणु के उत्पन्न होने के लिए बृषणकोष का तापमान शरीर की तुलना में 1-3 डिग्री सेल्सियस कम होता है, इसी कारण ये शरीर से बाहर अंडकोष में पाए जाते हैं।
🌞 शुक्राणु ( Sperm ) - इसकी लम्बाई 5 माइक्रोन होती है। यह तीन भागों में वर्गीकृत होता है - सर, ग्रीवा, पुच्छ।
🧬 शुक्राणु शरीर में 30 दिन तक जीवित रहते हैं , जबकि मैथुन के बाद स्त्रियों में ये अधिकतर 72 घंटे तक जीवित रहते हैं।
🌞 शिश्न ( Penis ) - यह नर का बाह्य जनन अंग है, जो स्पंजी ऊतकों का बना होता है।
🩸 शिश्न का ऊपरी फुला हुआ भाग शिश्नमुंड कहलाता है।
🩸 शिश्न के माध्यम से शुक्राणु स्त्री के प्रजनन तंत्र पहुँचते हैं।
🌞 वीर्य ( Semen ) - शुक्राणुओं, शुक्राशय द्रव एवं प्रोस्टेट एवं कार्डपर्स ग्रंथियों के स्राव को सम्मिलित रूप से वीर्य कहते हैं।
🦠 इसमें केल्सियम साइट्रेट, प्रोटीन तथा कार्वोहाइड्रेट के अलावा अन्य पदार्थ भी पाए जाते हैं।
🦠 मनुष्य के एक स्खलन में लगभग 2.5 से 3.5 मिली. वीर्य निकलता है जिसमें लगभग 20 से 40 करोड़ तक शुक्राणु होते हैं।
✍️ स्त्री जनन तंत्र ⚡
स्त्री जनन तंत्र नर की अपेक्षा काफी जटिल होता है। इस तंत्र में बृहत भगोष्ठ, लघु भगोष्ठ, भग्नीश्निका, योनि, अंडाशय, डिम्बबाहिनी नली, गर्भाशय इत्यादि भाग आते हैं।
🌞 अंडाशय ( Ovaries ) - स्त्री में वृक्क के समीप उदरगुहा में एक जोड़ी अंडाशय होता है।
🩸 स्त्री युग्मक ( अंडाणुओं ) का उत्पादन तथा स्त्री हार्मोन ( एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन ) का स्राव करना इसका प्रमुख कार्य हैं।
🩸 अंडाशय या डिम्बाशय में 40 हजार से 20 लाख अपरिपक्व पुटक होते हैं, किन्तु पूरे जीवनकाल में 500 से कम ही पुटक परिपक्व होते हैं। पुटक को परिपक्व होने में 28 दिन लगते हैं।
🌞 अंडाणु ( Ovum ) - अण्डाणु स्थिर, गोलाकार एवं निष्क्रिय होता है।
अण्डवाहिनियाँ ( Fallopian tube ) - अंडाशय के पीछे एक कीप जैसी संरचना होती है, जिसे अंडवाहिनी कहते हैं। निषेचन की क्रिया अंडवाहिनी में ही होती है।
🌞 गर्भाशय ( Uterus ) - यह पेशियों का बना नाशपाती के आकार का एक अंग है जिसमें भ्रूण का भरण-पोषण होता है। यह मूत्राशय के पीछे और मलाशय के आगे स्थित होता है, जो योनि में खुलता है।
🌞 निषेचन ( Fertilization ) - अण्डोत्सर्ग काल में डिम्ब और शुक्राणु के मिलने पर निषेचन होता है, जिससे युग्मनज बनता है। निषेचन की पहचान श्रतुस्राव की अनुपस्थिति में होती है।
🌞 भग्नीश्निका ( Clitories ) - यह योनि प्रधान में मूत्रमार्ग के बाहरी छिद्र के ऊपर स्थित मटर के दाने के आकार का होता है, जिसमें उद्दीपन के फलस्वरूप यौन उत्तेजनाएं होती हैं।
🌞 योनि ( Vagina ) - योनि एक नालाकार संरचना होती है। स्त्री में मूत्रमार्ग और योनि छिद्र अलग-अलग होते हैं। यह 8-10 सेमी. लम्बी नली होती है शुक्राणु योनि के माध्यम से गर्भाशय में तथा पुनः गर्भाशय से गर्भाशय नलिका में पहुँचता है, जहाँ डिम्ब का निषेचन होता है।
🌞 श्रतुस्राव ( Menstruation ) - इसे रजोधर्म, श्रतुस्राव, आर्तव या मासिक धर्म भी कहा जाता है। यह स्त्रियों में 12-14 वर्ष से आरम्भ होकर 45-50 वर्ष की आयु तक रहता है। श्रतुस्राव के आरम्भ से 14 वे दिन अण्डोत्सर्ग होता है। यह श्रतुस्राव लगभग 28 दिन के अंतराल पर होता है।
🌞 रजोनिवृति ( Meno-pause ) - एक निश्चित उम्र के बाद ( 45-50 वर्ष ) श्रतुस्राव बंद हो जाता है। इस स्थिति को रजोनिवृति कहते हैं। रजोनिवृति के पश्चात स्त्रियों में गर्भ धारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है।