शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के केंद्रीय विद्यालयों (KVs) और जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNVs) में नए निर्माण और मरम्मत कार्यों में एस्बेस्टस के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं।
एस्बेस्टस (Asbestos) के बारे में :
- एस्बेस्टस (Asbestos): छह प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले खनिज तंतुओं (Mineral Fibers) का एक समूह है।
- इसके प्रमुख प्रकार:
- क्राइसोटाइल – सफेद एस्बेस्टस
- एमोसाइट (Amosite)– भूरा एस्बेस्टस
- क्रोसिडोलाइट (Crocidolite)– नीला एस्बेस्टस
- एक्टिनोलाइट (Actinolite)
- एंथोफिलाइट (Anthophyllite)
- ट्रेमोलाइट (Tremolite)
- ऐतिहासिक उपयोग: मजबूती, गर्मी प्रतिरोध और अग्निरोधक क्षमताके कारण एस्बेस्टस का उपयोगनिर्माण सामग्री, इन्सुलेशन और औद्योगिक उत्पादों में किया जाता था।
- स्वास्थ्य जोखिम (Health Risks)
- एस्बेस्टस फाइबर के सांस के जरिए शरीर में जाने से गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं:
- एस्बेस्टोसिस (Asbestosis)– फेफड़ों का रोग, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
- फेफड़ों का कैंसर
- मेसोथेलियोमा– फेफड़े, छाती और पेट की परत का कैंसर।
- डीएनए को नुकसान
- एस्बेस्टस से जुड़ी समस्याएँ
- अगर एस्बेस्टस (Asbestos) युक्त उत्पादों को क्षतिग्रस्त किया जाए, तो इसमें मौजूदसूक्ष्म रेशे हवा में मिलकर शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- फेफड़ों में फाइबर फंसने से सूजन और स्कारिंग (Lung Scarring) हो सकती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार सभी छह प्रकार के एस्बेस्टस कैंसरजन्य (Carcinogenic) हैं।
- यह फेफड़े, गला (Larynx) और अंडाशय (Ovaries) का कैंसर भी पैदा कर सकता है।