2027 की जनगणना में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की छह प्रमुख आदिवासी जनजातियों, जिनमें जंगली जारवा जनजाति भी शामिल है, की गणना के विशेष प्रयास किए जाएंगे। यह पहल इन आदिवासी समुदायों की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्ज करने उनके संरक्षण और कल्याण के लिए योजनाएं बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। जरवा जनजाति विश्व की सबसे प्राचीन और जीवित आदिवासी जनजातियों में से एक है। ये पारंपरिक रूप से नॉमेडिक हंटर–गैदरर्स (घुमंतू शिकारी-संग्राहक) के रूप में मध्य और दक्षिण अंडमान द्वीप समूह के घने जंगलों में रहते हैं। ऐतिहासिक रूप से ये बाहरी लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण रहे हैं और 1990 के दशक के अंत तक संपर्क से बचते थे। ये आमतौर पर 40–50 लोगों के छोटे समूहों में रहते हैं और वन एवं समुद्री संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।