blog

वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution)

Written by ramkesh | Oct 14, 2025 10:30:00 PM

भारत की अदालतें लंबित मामलों के बोझ तले दब रही हैं। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) के अनुसार, देश में 4.57 करोड़ से अधिक लंबित मामले हैं, जिनमें लगभग 63 लाख हाई कोर्ट और 80,000 से अधिक सुप्रीम कोर्ट में हैं। ऐसे हालात में, न्याय में देरी अक्सर “न्याय की अनुपलब्धता” में बदल जाती है। इसी संदर्भ में सरकार का वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) को मजबूत करने का प्रयास महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा है। ADR केवल एक कानूनी विकल्प नहीं, बल्कि भारतीय पारंपरिक विवाद समाधान पर आधारित दर्शन है, जो न्याय को संघर्ष से सहमति, और पदानुक्रम से सामंजस्य की ओर ले जाता है। सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC), 1908 – सेक्शन 89 ADR प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता देता है और अदालतों को पक्षकारों को वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए प्रेरित करने का अधिकार देता है।